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पौष पुत्रदा एकादशी 2025

 धार्मिक डेस्क | 25 दिसंबर 2025

तुकाराम📿 | सनातन संवाद



हिंदू पंचांग के अनुसार 31 दिसंबर 2025 को पौष पुत्रदा एकादशी का पावन व्रत रखा जाएगा। इसे लेकर देशभर में श्रद्धालुओं के बीच तैयारियाँ और धार्मिक चर्चाएँ तेज़ हो गई हैं। पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना और संतान-सुख की कामना से जुड़ी मानी जाती है। धर्माचार्यों के अनुसार, वर्ष के अंत में पड़ने के कारण यह एकादशी आत्मचिंतन और आस्था—दोनों दृष्टियों से विशेष महत्व रखती है।

शास्त्रीय मान्यताओं में कहा गया है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से न केवल संतान की प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है, बल्कि परिवार में सुख, स्थिरता और धार्मिक संस्कार भी सुदृढ़ होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से दंपतियों द्वारा किया जाता है, हालांकि इसे कोई भी श्रद्धालु कर सकता है। मान्यता है कि इस दिन विष्णु-भक्ति से जीवन में धर्म और दायित्व का संतुलन स्थापित होता है।

धार्मिक विद्वानों के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी की तैयारी एक दिन पूर्व, यानी दशमी तिथि से ही शुरू कर दी जाती है। दशमी को सात्विक भोजन, संयम और मन की शुद्धि पर ध्यान दिया जाता है। एकादशी के दिन प्रातः स्नान के बाद व्रती भगवान विष्णु की पूजा करता है, तुलसी पत्र अर्पित किए जाते हैं और विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप किया जाता है। दिनभर उपवास रखकर रात्रि में जागरण और कथा-श्रवण की परंपरा भी कई स्थानों पर निभाई जाती है।

इस एकादशी का धार्मिक संदेश केवल संतान-प्राप्ति तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि सनातन परंपरा में “पुत्र” का अर्थ केवल संतान नहीं, बल्कि सद्गुणों से युक्त उत्तरदायित्वपूर्ण पीढ़ी से भी जुड़ा है। इस दृष्टि से पुत्रदा एकादशी समाज में संस्कार, अनुशासन और नैतिक मूल्यों के संरक्षण का प्रतीक मानी जाती है।

दिसंबर 2025 में, जब एक ओर वर्ष का समापन हो रहा है और दूसरी ओर नया वर्ष दस्तक देने वाला है, ऐसे समय में पौष पुत्रदा एकादशी का आगमन श्रद्धालुओं के लिए विशेष भावनात्मक महत्व रखता है। यह व्रत लोगों को यह स्मरण कराता है कि जीवन की प्रगति केवल भौतिक उपलब्धियों से नहीं, बल्कि धर्म, संयम और पारिवारिक मूल्यों से होती है।

धार्मिक कैलेंडर के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को विधिपूर्वक किया जाता है। आने वाले दिनों में मंदिरों और धार्मिक संस्थानों द्वारा इस एकादशी से जुड़ी कथाओं, प्रवचनों और विशेष पूजा-अनुष्ठानों का आयोजन भी किया जाएगा। ऐसे में पौष पुत्रदा एकादशी 2025 को वर्षांत के एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर के रूप में देखा जा रहा है, जो आस्था के साथ-साथ आत्म-संयम और संस्कार का संदेश भी देता है। 

लेखक / Writer : तुकाराम📿
प्रकाशन / Publish By : सनातन संवाद


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