पूर्णिया | 25 दिसंबर 2025 | तुकाराम📿 | सनातन संवाद
पूर्णिया जिले में रविवार को आयोजित एक ‘घर वापसी’ समारोह चर्चा का विषय बना, जिसमें 100 से अधिक लोगों ने सनातन धर्म में पुनः प्रवेश किया। आयोजकों के अनुसार, यह कार्यक्रम पूरी तरह धार्मिक विधि-विधान, मंत्रोच्चार और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के साथ संपन्न हुआ, जिसका उद्देश्य लोगों को अपनी पारंपरिक आस्था और सांस्कृतिक जड़ों से फिर से जोड़ना था।
कार्यक्रम में शामिल लोगों ने कहा कि उन्होंने यह निर्णय स्वेच्छा से लिया है और इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान तथा पारिवारिक परंपराओं से पुनः जुड़ने के रूप में देखा। आयोजन स्थल पर वैदिक मंत्रों का पाठ, हवन और सामूहिक प्रार्थना कराई गई, जिसके बाद सहभागियों को सनातन परंपराओं के मूल सिद्धांतों—धर्म, कर्तव्य, करुणा और सह-अस्तित्व—के बारे में जानकारी दी गई।
आयोजकों का कहना है कि ‘घर वापसी’ का आशय किसी प्रकार के विरोध या टकराव से नहीं, बल्कि आत्मीयता और सांस्कृतिक एकत्रता से है। उनके अनुसार, सनातन धर्म एक जीवन-पद्धति है, जो व्यक्ति को उसकी परंपरा, भाषा और सामाजिक मूल्यों से जोड़ती है। इस कार्यक्रम को उसी भावना के साथ आयोजित किया गया।
स्थानीय स्तर पर इस आयोजन को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कुछ सामाजिक संगठनों ने इसे सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बताया, जबकि प्रशासनिक सूत्रों ने कहा कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ और कानून-व्यवस्था की स्थिति सामान्य रही। सुरक्षा और प्रशासन की ओर से आवश्यक निगरानी भी रखी गई थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार सहित देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे आयोजन धार्मिक पहचान, सांस्कृतिक स्मृति और सामाजिक संवाद के संदर्भ में देखे जा रहे हैं। उनका कहना है कि किसी भी धार्मिक कार्यक्रम को समझने के लिए उसके सामाजिक संदर्भ, स्वैच्छिक सहभागिता और विधिक ढांचे को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।
लेखक / Writer : तुकाराम📿
प्रकाशन / Publish By : सनातन संवाद
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