आज का सबसे बड़ा संकट यह नहीं कि कोई बाहर से आकर हमें बदले
आज का सबसे बड़ा संकट यह नहीं कि कोई बाहर से आकर हमें बदले, संकट यह है कि हम खुद अपने धर्म को कम आंकते हैं।
हमारी संस्कृति, हमारे वेद, हमारी पूजा, हमारे पर्व — सब कुछ वैज्ञानिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अद्भुत हैं, फिर भी हम उन्हें “पुरानी बातें” कह कर छोड़ देते हैं।
हम सोशल मीडिया पर बहस करते हैं, पर अपने घर में संस्कार सिखाने में आलस करते हैं। हम भगवान का नाम लेते हैं, पर अपने व्यवहार में अधर्म की अनुमति देते हैं।
कड़वी सच्चाई यह है — धर्म सिर्फ़ पूजा, पर्व या मंदिर तक सीमित नहीं है। धर्म हमारे शब्दों, कर्मों और सोच में झलकना चाहिए।
अगर हम अंदर से जागेंगे नहीं, तो बाहर कोई शक्ति हमें बचा नहीं सकती।
जय सनातन 🔱
सबसे पहले अपने भीतर का मंदिर साफ़ करो।
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Writer: तु ना रिं 🔱
Publish By: सनातन संवाद
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इस लेख का सम्पूर्ण कंटेंट लेखक तु ना रिं और सनातन संवाद के कॉपीराइट के अंतर्गत सुरक्षित है। बिना अनुमति इस लेख की नकल, पुनःप्रकाशन या उपयोग निषिद्ध है। शैक्षिक उद्देश्य हेतु साझा किया जा सकता है, पर स्रोत का उल्लेख आवश्यक है।
FAQ – सनातन धर्म और घर में संस्कार से जुड़े सामान्य प्रश्न
- धर्म सिर्फ पूजा और मंदिर तक सीमित क्यों नहीं है?
- हम अपने घर में संस्कार कैसे बढ़ा सकते हैं?
- सनातन धर्म में आंतरिक जागरूकता का महत्व क्या है?
- धर्म और व्यवहार में संतुलन कैसे बनाएँ?
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