सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म सेवा को सबसे बड़ी पूजा मानता है

मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म सेवा को सबसे बड़ी पूजा मानता है

मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म सेवा को सबसे बड़ी पूजा मानता है

Seva hi sabse badi pooja

नमस्कार, मैं तु ना रिं, एक सनातनी।

आज मैं आपको सनातन धर्म की उस सरल लेकिन बहुत गहरी सीख के बारे में बताना चाहता हूँ जो हर इंसान के बस की बात है — सेवा।

सनातन धर्म कहता है कि भगवान को पाने के लिए बड़े-बड़े शब्दों की जरूरत नहीं, महंगे फूलों की जरूरत नहीं, बस एक सच्चा दिल चाहिए जो किसी के काम आ सके।

जब हम भूखे को खाना देते हैं, प्यासे को पानी देते हैं, दुखी को सहारा देते हैं, तो वह सिर्फ मदद नहीं होती — वही पूजा होती है। हमारे धर्म में सेवा को मंत्रों से ऊपर रखा गया है।

सेवा का मतलब यह नहीं कि हमारे पास बहुत कुछ हो। कभी किसी को थोड़ा सा समय देना, धैर्य से उसकी बात सुन लेना, या बिना स्वार्थ के किसी के लिए खड़ा हो जाना — यह भी सेवा ही है।

सनातन धर्म सिखाता है कि जिसके भीतर करुणा है, वही सच्चा धार्मिक है। अगर पूजा के बाद भी हमारे मन में अहंकार आ जाए, तो वह पूजा अधूरी है। लेकिन अगर सेवा के बाद मन शांत हो जाए, तो समझिए धर्म जीवित है।

मैं तु ना रिं आपसे यही कहना चाहता हूँ — आप मंदिर जाएँ या न जाएँ, अगर आप किसी के जीवन में थोड़ी सी राहत बन गए, तो आप भगवान के सबसे पास हैं।

यही सनातन धर्म की सुंदरता है — यह कहता है पहले इंसान बनो, फिर भक्त बनो। क्योंकि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।

और इसी भावना के कारण मैं गर्व से कहता हूँ — “हाँ, मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म मुझे सिखाता है कि सच्ची पूजा सेवा है।”


🙏 Support Us / Donate Us

हम सनातन ज्ञान, धर्म–संस्कृति और आध्यात्मिकता को सरल भाषा में लोगों तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। यदि आपको हमारा कार्य उपयोगी लगता है, तो कृपया सेवा हेतु सहयोग करें। आपका प्रत्येक योगदान हमें और बेहतर कंटेंट बनाने की शक्ति देता है।

Donate Now
UPI ID: ssdd@kotak



टिप्पणियाँ