सप्तऋषि — मानव चेतना के मार्गदर्शक
नमस्कार, मैं तु ना रिं, एक सनातनी।
आज मैं तुम्हें उन गूढ़ ऋषियों की कथा बताने आया हूँ जो मानव समाज और चेतना के मार्गदर्शक रहे हैं — सप्तऋषि।
सनातन धर्म में सप्तऋषि केवल नाम नहीं, वे ज्ञान, साधना और संस्कार के प्रतीक हैं। ये सात ऋषि मार्कंडेय, अंगिरस, भारद्वाज, विश्वामित्र, कश्यप, वात्स्यायन और गुरु पराशर हैं, जिनके व्यक्तित्व और ज्ञान सदियों से मानवता के लिए दीपक बनकर जलते रहे हैं।
ऋषियों ने केवल मंत्र और यज्ञ नहीं दिए, उन्होंने मानव जीवन की आध्यात्मिक दिशा भी निर्धारित की। उन्होंने बताया कि मनुष्य का मूल धर्म है — ज्ञान प्राप्त करना, मन, वाणी और कर्म में संतुलन बनाए रखना, और जीवन में सच्चाई, करुणा और भक्ति को अपनाना।
सप्तऋषियों की साधना हिमालय के गुप्त आश्रमों में, वनों की तन्हाई में और नदियों के किनारे दीर्घ तपस्या, ध्यान और यज्ञ के माध्यम से हुई। उनकी चेतना इतनी प्रबल थी कि वे केवल दृष्टि से भी दूर के घटनाओं और समय को जान सकते थे।
सनातन धर्म में कहा गया है — “सप्तऋषि समय और स्थान से परे हैं। वे मानव चेतना के मार्गदर्शन के लिए सदैव उपस्थित रहते हैं।”
उनका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है —
- सत्य का पालन करें।
- ज्ञान का साधक बनें।
- अहंकार और मोह से परे जाएँ।
- अपने कर्म और भक्ति से समाज और स्वयं को समृद्ध करें।
सप्तऋषि केवल इतिहास नहीं, वे मानव चेतना के जीवन्त आदर्श और प्रकाशस्तंभ हैं। जो उनके मार्ग पर चलेगा, वह केवल अपने लिए नहीं, समाज और ब्रह्मांड के संतुलन के लिए भी कार्य करेगा।
✍🏻 लेखक: तु ना रिं
🌿 सनातन इतिहास ज्ञान श्रृंखला
🙏 Support Us / Donate Us
हम सनातन ज्ञान, धर्म–संस्कृति और आध्यात्मिकता को सरल भाषा में लोगों तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। यदि आपको हमारा कार्य उपयोगी लगता है, तो कृपया सेवा हेतु सहयोग करें। आपका प्रत्येक योगदान हमें और बेहतर कंटेंट बनाने की शक्ति देता है।
Donate Now
UPI ID: ssdd@kotak
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें