मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म समय को समझना सिखाता है, उससे डरना नहीं
नमस्कार, मैं तु ना रिं, एक सनातनी।
आज मैं आपको सनातन धर्म की उस अनोखी समझ के बारे में बताना चाहता हूँ जो समय को लेकर हमारी सोच ही बदल देती है — समय का चक्र।
दुनिया के बहुत से लोग समय से डरते हैं। उन्हें लगता है कि समय निकल रहा है, जीवन खत्म हो रहा है, सब कुछ हाथ से फिसल रहा है। लेकिन सनातन धर्म ऐसा नहीं कहता। यह कहता है कि समय भाग नहीं रहा, समय घूम रहा है।
सनातन धर्म में समय को एक सीधी रेखा नहीं, एक चक्र माना गया है। दिन के बाद रात आती है, रात के बाद दिन। जन्म के बाद मृत्यु, और मृत्यु के बाद फिर नया आरंभ। इसलिए यहाँ अंत जैसा कुछ नहीं, यहाँ केवल परिवर्तन है।
यही सोच मनुष्य को धैर्य सिखाती है। अगर आज कठिन समय है, तो यह भी बीत जाएगा। और अगर आज अच्छा समय है, तो उसमें अहंकार मत करो। क्योंकि समय सबको समान रूप से घुमाता है।
सनातन धर्म हमें सिखाता है कि समय का सम्मान करो, लेकिन उससे भयभीत मत हो। जो समय को समझ लेता है, वह कभी अधीर नहीं होता। वह जानता है कि हर ऋतु की अपनी भूमिका है।
मैं तु ना रिं आपसे यही कहना चाहता हूँ कि अगर आपके जीवन में आज अंधकार है, तो निराश मत होइए। और अगर प्रकाश है, तो विनम्र रहिए। क्योंकि समय का धर्म है — चलते रहना।
और इसी गहरी समझ के कारण मैं गर्व से कहता हूँ — “हाँ, मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म मुझे समय के साथ बहना सिखाता है, उससे लड़ना नहीं।”
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