सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म प्रकृति को माता मानता है

मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म प्रकृति को माता मानता है

मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म प्रकृति को माता मानता है

लेखक / Writer : तु ना रिं 🔱 • प्रकाशन / Publish By : सनातन संवाद

प्रकृति माता - मैं हिन्दू हूँ

मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म प्रकृति को माता मानता है नमस्कार, मैं तु ना रिं, एक सनातनी। आज मैं आपको वह बात बताने आया हूँ, जिस पर पूरा संसार आज चर्चा करता है— प्रकृति का सम्मान, पृथ्वी की रक्षा, पर्यावरण का संतुलन। और यह सब हमारे सनातन धर्म ने हजारों साल पहले ही सिखा दिया था। सनातन धर्म कहता है— “पृथ्वी हमारी माता है, और हम उसके पुत्र हैं।” यह कोई श्लोक भर नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। हमने हमेशा पेड़ को “वृक्षदेवता”, जल को “जलदेवता”, हवा को “वायुदेव”, और सूर्य को “सूर्यनारायण” कहकर पूजा है। हम यह विश्वास करते हैं कि जिस प्रकृति से जीवन चलता है, उसे नष्ट करके कोई भी मनुष्य सुखी नहीं रह सकता। इसीलिए हमारे पूर्वज पेड़ काटने से पहले उससे क्षमा माँगते थे, नदी पार करने से पहले हाथ जोड़ते थे, और धरती पर पैर रखने से पहले उससे आशीर्वाद मांगते थे। यह सब अंधविश्वास नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव है। हमारा धर्म कहता है कि यदि आपने एक वृक्ष लगाया, तो आपने सौ पापों का नाश किया। यदि आपने जल बचाया, तो आपने आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बचाया। आज दुनिया ग्लोबल वार्मिंग रोकने की बातें कर रही है, और हमें गर्व होना चाहिए कि हमारे धर्म ने हजारों साल पहले ही यह रास्ता दिखा दिया था। हमने सिखाया— कम खाओ लेकिन शुद्ध खाओ, कम खर्च करो लेकिन पवित्रता बनाए रखो, कम लो लेकिन अधिक लौटाओ। मैं, तु ना रिं, पूरे हृदय से कहता हूँ— मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म केवल ईश्वर की पूजा नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति के साथ संतुलन में रहने की शिक्षा देता है। यह धरती, यह आकाश, यह नदी, यह पर्वत— सब हमारे देव हैं, और उनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य। और यही कारण है कि मैं गर्व से कहता हूँ — "हाँ, मैं हिन्दू हूँ, और मेरा धर्म मेरी पृथ्वी को माता मानता है।”

Quick points:
  • प्रकृति माता का विचार — हिन्दू धर्म में पर्यावरण संरक्षण की जड़े।
  • रिवाज़ और पूजा — वृक्ष, जल, हवा और सूर्य का सम्मान।
  • आधुनिक संदर्भ — सनातन शिक्षाएँ आज के ग्लोबल वार्मिंग समाधान से मेल खाती हैं।

UPI ID : ssdd@kotak

FAQ — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: हिन्दू धर्म द्वारा प्रकृति को माता मानने का क्या अर्थ है?
A: इसका मतलब है कि प्रकृति के हर तत्व — जल, पेड़, हवा और भूमि — का सम्मान करना और उन्हें संरक्षित रखना। यह व्यवहार और संस्कार दोनों में परिलक्षित होता है।

Q2: क्या सनातन शिक्षाएँ आधुनिक पर्यावरण समस्याओं का समाधान देती हैं?
A: हाँ। सनातन का संतुलन-आधारित जीवन, सरलता, और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति आदर आधुनिक टिकाऊ प्रथाओं से मेल खाती है।

Q3: मैं व्यक्तिगत रूप से क्या कर सकता/सकती हूँ?
A: वृक्षारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक उपयोग कम करना, और स्थानीय पारंपरिक ज्ञान अपनाना — ये छोटे कदम बड़े प्रभाव डालते हैं।

Publish Link: यहाँ देखें

Website: https://satya-hi-sanatan-sanvad.blogspot.com/

Copyright Disclaimer:
इस लेख का सम्पूर्ण कंटेंट लेखक तु ना रिं और सनातन संवाद के कॉपीराइट के अंतर्गत सुरक्षित है। बिना अनुमति इस लेख की नकल, पुनःप्रकाशन या डिजिटल/प्रिंट रूप में उपयोग निषिद्ध है। शैक्षिक और ज्ञानवर्धन हेतु साझा किया जा सकता है, पर स्रोत का उल्लेख आवश्यक है।

टिप्पणियाँ