मैं गर्व से कहता हूँ— मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि हमारा धर्म जीवन को डर से नहीं, विश्वास से जीना सिखाता है
नमस्कार, मैं तु ना रिं, एक सनातनी। आज मैं आपको एक बहुत सरल और दिल छू लेने वाली बात बताना चाहता हूँ – सनातन धर्म का सबसे बड़ा आधार भय नहीं, विश्वास है।
धर्म जो डर नहीं, भरोसा सिखाए
दुनिया में कई जगह ऐसा होता है कि धर्म को डर से जोड़ा जाता है –
- “ये नहीं करोगे तो सज़ा मिलेगी।”
- “ये करोगे तो भगवान नाराज़ हो जाएँगे।”
लेकिन सनातन धर्म का स्वर बहुत अलग है। हमारा धर्म कहता है –
“डर नहीं, भरोसा रखो… ईश्वर तुमसे दूर नहीं, तुम्हारे साथ हैं।”
यहाँ धर्म का अर्थ केवल नियमों की किताब नहीं, बल्कि जीवन को समझने और जीने की एक प्रेममय कला है।
दीप, मंदिर और पूजा – डर के नहीं, विश्वास के प्रतीक
जब हम दीप जलाते हैं, तो वह किसी सज़ा के डर से नहीं जलाया जाता। वह हमें यह याद दिलाने के लिए जलता है कि –
- हमारे अंदर भी एक रोशनी है,
- हमारे भीतर भी आशा है,
- और अंधकार चाहे जितना भी हो, एक छोटी लौ भी उसे चीर सकती है।
जब हम मंदिर जाते हैं, तो यह सोचकर नहीं जाते कि “भगवान को खुश कर देंगे तो सब ठीक हो जाएगा”, बल्कि इस भाव से जाते हैं कि –
- हमारा मन शांत हो,
- हमारी बुद्धि साफ हो,
- हम अपनी उलझनों को ईश्वर के सामने रखकर हल्का महसूस करें।
हमारे यहाँ भगवान दंड देने वाले राजा की तरह नहीं, बल्कि –
- मित्र के रूप में,
- पिता के सहारे के रूप में,
- माता की ममता के रूप में,
- और जीवन–साथी की तरह साथ निभाने वाले रूप में देखे जाते हैं।
राम, कृष्ण, शिव और गणेश – विश्वास के चार स्तंभ
हमारे देवता भी डर नहीं, जीवन–कला सिखाते हैं –
- भगवान राम हमें धैर्य, मर्यादा और कर्तव्य की ताकत देते हैं। वे सिखाते हैं कि कठिन परिस्थितियों में भी सही रास्ता नहीं छोड़ना।
- भगवान कृष्ण हमें प्रेम, बुद्धि और संतुलन सिखाते हैं। वे दिखाते हैं कि जीवन में हँसी भी हो सकती है और गीता का ज्ञान भी।
- भगवान शिव हमें स्वतंत्रता, सरलता और गहराई सिखाते हैं। उनका रूप बताता है कि सच्चा ईश्वर दिखावे से नहीं, सच्चे भाव से पहचाना जाता है।
- भगवान गणेश हमें विघ्नों से लड़ना सिखाते हैं। वे याद दिलाते हैं कि शुरुआत में बाधाएँ आएँगी, पर विश्वास रखो, तुम उन्हें पार कर सकते हो।
इन सबकी शिक्षा एक ही दिशा में जाती है – ईश्वर से डरो मत, ईश्वर पर भरोसा करो।
मुश्किल समय में सनातन धर्म क्या कहता है?
जीवन में जब भी कठिन समय आता है, तो मन में स्वाभाविक रूप से डर, बेचैनी और सवाल उठते हैं। पर सनातन धर्म हमें यह नहीं कहता कि “तुम पर यह इसलिए आया, क्योंकि भगवान नाराज़ हैं।”
सनातन की सीख यह है –
- मुश्किलें आएँगी, यह जीवन का हिस्सा है।
- कठिन समय में अपने भीतर के ईश्वर को याद करो।
- तुम अकेले नहीं हो – तुम्हारा इष्टदेव, तुम्हारा विश्वास, तुम्हारी साधना तुम्हारे साथ खड़ी है।
मैं, तु ना रिं, आपसे बस इतना कहना चाहता हूँ –
जब भी मुश्किल आए, घबराएँ नहीं। अपने भीतर के ईश्वर को पुकारें… वह आपको कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे।
डर से भरा मन कमजोर, विश्वास से भरा मन मजबूत
डर हमें छोटा बनाता है –
- हम खुद पर शक करने लगते हैं,
- हम हर चीज़ में नकारात्मकता देखने लगते हैं,
- हम सोचते हैं, “मैं नहीं कर पाऊँगा…”
लेकिन विश्वास हमें मजबूत बनाता है –
- हम खुद पर, अपनी क्षमता पर भरोसा करने लगते हैं,
- हम मानते हैं कि “ईश्वर मेरे साथ हैं, मैं अकेला नहीं हूँ,”
- हम मुश्किलों को चुनौती की तरह देखते हैं, न कि अंत की तरह।
सनातन धर्म की पहचान ही यह है कि –
यह इंसान को कमजोर नहीं, मजबूत बनाता है। यह मन को डर से नहीं, विश्वास से भरता है।
मैं गर्व से कहता हूँ – मेरा धर्म भरोसे पर खड़ा है
जब मैं अपने सनातन धर्म को देखता हूँ, तो मुझे उसमें –
- प्रेम दिखाई देता है,
- स्वतंत्रता दिखाई देती है,
- करुणा दिखाई देती है,
- और सबसे बढ़कर, ईश्वर पर अटूट विश्वास दिखाई देता है।
और इसी विश्वास की वजह से मैं पूरे गर्व के साथ दुनिया से कहता हूँ –
“हाँ, मैं हिन्दू हूँ, और मेरे धर्म का आधार भय नहीं, भरोसा है।”
लेखक / Writer
तु ना रिं 🔱
प्रकाशन / Publish By
सनातन संवाद
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