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अवतार क्या होते हैं? — भगवान इंसान क्यों बनते हैं? | Sanatan Dharma

अवतार क्या होते हैं? — भगवान इंसान क्यों बनते हैं? | Sanatan Dharma

अवतार क्या होते हैं? — भगवान इंसान क्यों बनते हैं?

अवतार भगवान अवतरण

सनातन धर्म यह नहीं कहता कि भगवान केवल स्वर्ग में रहते हैं। सनातन कहता है —
जब धरती पर धर्म कमजोर होता है, तब ईश्वर स्वयं धरती पर उतरते हैं।

इसी को कहा जाता है — अवतार

अवतार का अर्थ है —
ऊपर से नीचे उतरना।
पर यह शरीर में उतरना नहीं होता, बल्कि धर्म की शक्ति को संसार में प्रकट करना होता है।

भगवान किसी मनोरंजन के लिए नहीं आते,
वे हमेशा एक कारण से आते हैं।

भगवद्गीता में श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं —

"जब-जब धर्म की हानि होती है
और अधर्म बढ़ता है
तब-तब मैं अवतरित होता हूँ।"

परमात्मा कोई एक चेहरा नहीं,
वह परिस्थिति के अनुसार रूप लेता है।

इसीलिए विष्णु के अवतार हुए —

  • मत्स्य — प्रलय से जीवन बचाने
  • कूर्म — धरती को थामने
  • वराह — पृथ्वी को जल से निकालने
  • नरसिंह — अहंकारी सत्ता का अंत करने
  • वामन — घमंड को तोड़ने
  • परशुराम — अत्याचारी सत्ता मिटाने
  • राम — मर्यादा का उदाहरण बनने
  • कृष्ण — कर्मयोग सिखाने
  • बुद्ध — करुणा जगाने
  • कल्कि — अधर्म के पूर्ण नाश के लिए (आने वाले)

अवतार किसी जाति के लिए नहीं होते।
वे पूरी मानवता के लिए होते हैं।

हर अवतार समय की मांग के अनुसार होता है।

राम जैसे थे |
आज ऐसे राम चाहिए।

कृष्ण जैसे थे |
आज ऐसे कृष्ण चाहिए।

इसलिए सनातन यह नहीं कहता —
“भगवान आएंगे।”

सनातन कहता है —
भगवान तुम्हारे भीतर जगाओ।


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लेखक / Writer

तु ना रिं 🔱

प्रकाशन / Publish By

सनातन संवाद

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Labels: अवतार, भगवान, विष्णु अवतार, राम, कृष्ण, कल्कि, धर्म, अधर्म नाश, मानवता

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