मैं गर्व से कहता हूँ — मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म मुझे गुरु का महत्व समझाता है
नमस्कार, मैं तु ना रिं, एक सनातनी।
आज मैं आपको सनातन धर्म की उस नींव के बारे में बताने आया हूँ जिसके बिना ज्ञान अधूरा है, मार्ग धुंधला है और जीवन भटका हुआ लगता है — गुरु।
सनातन धर्म में गुरु को भगवान से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। क्योंकि भगवान तो हमें जन्म देते हैं, लेकिन गुरु हमें जीना सिखाते हैं। गुरु वह होता है जो अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाए।
हमारे यहाँ कहा गया है — अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला ही गुरु है। इसलिए गुरु कोई किताब नहीं, कोई पद नहीं, कोई दिखावा नहीं। गुरु वह चेतना है जो सही और गलत का फर्क सिखा दे।
सनातन धर्म यह नहीं कहता कि गुरु हमेशा गेरुए वस्त्रों में ही मिलेगा। गुरु माँ भी हो सकती है, पिता भी, शिक्षक भी, अनुभव भी, और कभी-कभी जीवन की कठिनाइयाँ भी गुरु बन जाती हैं।
जब हम ठोकर खाकर सीखते हैं, तो वह भी गुरु की ही शिक्षा है। जब कोई हमें सही राह दिखा देता है, तो वही हमारा गुरु है।
आज की दुनिया में लोग सिर्फ जानकारी के पीछे भाग रहे हैं, लेकिन सनातन धर्म कहता है — जानकारी नहीं, दिशा ज़रूरी है। और दिशा गुरु ही देता है।
मैं तु ना रिं आपसे यही कहना चाहता हूँ — जिसके जीवन में गुरु का सम्मान है, उसके जीवन में भ्रम नहीं रहता। जिसने गुरु को मान लिया, उसने आधी मंज़िल पार कर ली।
और इसी महान परंपरा के कारण मैं गर्व से कहता हूँ — हाँ, मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि मेरा धर्म मुझे गुरु को जीवन की सबसे बड़ी शक्ति मानना सिखाता है।
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