मैं गर्व से कहता हूँ— मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि हमारा धर्म सवाल पूछने और सोचने की आज़ादी देता है
मैं गर्व से कहता हूँ— मैं हिन्दू हूँ, क्योंकि हमारा धर्म सवाल पूछने और सोचने की आज़ादी देता है
नमस्कार, मैं तु ना रिं, एक सनातनी।
आज मैं आपसे सनातन धर्म की ऐसी बात साझा करना चाहता हूँ, जो बहुत कम लोग समझते हैं— हमारा धर्म हमें सोचने, पूछने और समझकर मानने की आज़ादी देता है, सिर्फ अंधे होकर मानने की नहीं। और यही कारण है कि मैं गर्व से कहता हूँ— मैं हिन्दू हूँ।
दुनिया में कई बार लोगों को यह सिखाया जाता है कि “बस जो कहा जा रहा है, उसे मान लो, सवाल मत पूछो।”
लेकिन सनातन धर्म में ऐसा नहीं है।
यहाँ ऋषि-मुनि, संत, शिष्य— सबने भगवान से भी सवाल पूछे हैं, शास्त्रों से सवाल पूछे हैं, जीवन से सवाल पूछे हैं।
भगवान कृष्ण से अर्जुन ने गीता में एक-आध नहीं, सैकड़ों सवाल पूछे—
क्यों लड़ूँ?
सही क्या है, गलत क्या है?
कर्म क्या है, पाप क्या है?
और कृष्ण ने कभी ये नहीं कहा कि “चुप रहो, बस मान लो।”
उन्होंने हर सवाल का उत्तर प्यार से, धैर्य से और तर्क के साथ दिया। यही तो सनातन है।
हमारे यहाँ “जिज्ञासा” को बहुत बड़ा गुण माना गया है।
जो बच्चा, जो युवा, जो इंसान सवाल पूछता है— उसे रोका नहीं जाता, उसे आगे बढ़ाया जाता है।
इसी जिज्ञासा से वेद बने, उपनिषद बने, योग बना, आयुर्वेद बना, ज्योतिष बना, दर्शन शास्त्र बने।
अगर हमारे ऋषि प्रश्न न करते,
तो इतना विशाल ज्ञान कभी दुनिया तक पहुँच ही नहीं पाता।
मैं तु ना रिं, आपको एक बात दिल से कहना चाहता हूँ—
अगर कभी आपके मन में भी सवाल उठे कि
“भगवान कौन हैं?”
“जीवन का मकसद क्या है?”
“कर्म क्यों ज़रूरी है?”
“ध्यान, जप, पूजा का क्या अर्थ है?”
तो घबराइए मत, अपने आप को गलत मत समझिए।
सवाल उठना ही तो जीवित होने की निशानी है।
सनातन धर्म कहता है—
पहले समझो, फिर मानो।
अगर कोई बात समझ न आए, तो गुरु से पूछो, शास्त्र पढ़ो, विचार करो, मनन करो।
यहाँ “डर से डराकर” धर्म नहीं चलता,
यहाँ “समझाकर” धर्म चलता है।
इसीलिए हमारे यहाँ इतने प्रकार के विचार हैं—
कोई भक्ति मार्ग से चलता है,
कोई ज्ञान मार्ग से,
कोई कर्म मार्ग से,
कोई योग के मार्ग से।
सब अपने-अपने स्वभाव के अनुसार रास्ता चुनते हैं।
कोई साधु बनकर खुश है,
कोई गृहस्थ रहकर खुश है।
कोई मूर्ति पूजा से जुड़े,
कोई निराकार से जुड़े—
सनातन कहता है— ठीक है, तुम जिस रूप में ईश्वर को समझ पाओ, उसी रूप में उन्हें स्वीकार करो।
आज के समय में, जब बहुत जगहों पर
लोगों को सवाल पूछने पर चुप करा दिया जाता है,
तब सनातन धर्म की यह बात और भी अनमोल लगती है।
क्योंकि हमारा धर्म हमें रुकने नहीं देता,
यह हमें खोजने, सीखने और बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
मैं आपको एक छोटी सी बात सुझाना चाहता हूँ—
जब भी आप किसी पूजा, मंत्र, परंपरा या नियम को देखें,
तो बस इतना जरूर सोचिए—
“इसका अर्थ क्या है?
इसे क्यों किया जाता होगा?”
और फिर खुद खोजिए—
किताबों से, बुजुर्गों से, गुरुओं से, भरोसेमंद स्रोतों से।
जितना जानेंगे, उतना आपका “धर्म” मजबूत होगा,
सिर्फ नाम का हिन्दू नहीं, समझ वाला हिन्दू बनेंगे।
यही तो मेरे गर्व की बात है—
मैं हिन्दू हूँ, और मेरा सनातन धर्म मुझे सोचने की, सवाल करने की, और सत्य को खुद खोजने की आज़ादी देता है।
इसीलिए मैं पूरे प्रेम से कहता हूँ—
“मैं गर्व से कहता हूँ, मैं हिन्दू हूँ।”
लेखक / Writer
तु ना रिं 🔱
प्रकाशन / Publish By
सनातन संवाद
Copyright Disclaimer
इस लेख का सम्पूर्ण कंटेंट लेखक तु ना रिं और सनातन संवाद के कॉपीराइट के अंतर्गत सुरक्षित है। बिना अनुमति इस लेख की नकल, पुनःप्रकाशन या डिजिटल/प्रिंट रूप में उपयोग निषिद्ध है। शैक्षिक और ज्ञानवर्धन हेतु साझा किया जा सकता है, पर स्रोत का उल्लेख आवश्यक है।
UPI ID: ssdd@kotak
(कृपया इस UPI ID को अपने UPI ऐप में स्वयं टाइप करके पेमेंट करें।)
आपका छोटा–सा सहयोग भी “Sanatan Sanvad” के माध्यम से सनातन धर्म की वास्तविक, समझदार और प्रेममय आवाज़ को और दूर तक पहुँचाने में अमूल्य योगदान है।
Labels: Main Garv Se Kehta Hun Main Hindu Hun, मैं हिन्दू हूँ, सनातन धर्म में सवाल, Hindu Jigyasa, Bhagavad Geeta Questions, समझ वाला हिन्दू, Sanatan Sanvad Blog
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें