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मोक्ष क्या है? — स्वर्ग से भी बड़ा लक्ष्य | What Is Moksha in Sanatan Dharma

मोक्ष क्या है? — स्वर्ग से भी बड़ा लक्ष्य | What Is Moksha in Sanatan Dharma

मोक्ष क्या है? — स्वर्ग से भी बड़ा लक्ष्य

मोक्ष क्या है - स्वर्ग से भी बड़ा लक्ष्य - सनातन धर्म

अधिकतर लोग सोचते हैं —
स्वर्ग जाना ही सबसे बड़ा लक्ष्य है।

पर सनातन धर्म कहता है —
स्वर्ग भी एक पड़ाव है,
अंत नहीं।

अंत है —
मोक्ष

मोक्ष का अर्थ है —
जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति।

जहाँ —
न शरीर,
न दुख,
न इच्छा,
न कर्मों का बोझ।

केवल शुद्ध चेतना।

स्वर्ग में —
इच्छाएँ पूरी होती हैं,
पर खत्म नहीं होतीं।

नरक में —
दुख भोगा जाता है,
पर खत्म नहीं होता।

मोक्ष में —
इच्छा ही खत्म हो जाती है।

और जहाँ इच्छा खत्म —
वही शांति शुरू।

मोक्ष के चार मार्ग —
ज्ञान
भक्ति
कर्म
ध्यान

पर गंतव्य एक।

मोक्ष कोई आत्महत्या नहीं,
मोक्ष आत्म–समर्पण है।

जो मन को मारता है,
वह भटका।

जो अहंकार को मारता है,
वह मुक्त हुआ।

मोक्ष का अर्थ जंगल जाना नहीं,
मोक्ष का अर्थ —
भीड़ में जागना है।

कपड़े नहीं बदलने पड़ते,
अंदर बदलना पड़ता है।

एक मजदूर मोक्ष के करीब हो सकता है,
और एक पुजारी दूर।

क्योंकि —
मोक्ष पद से नहीं,
परिपक्वता से मिलता है।

जब —
क्रोध शांत हो जाए,
लोभ सूख जाए,
अहंकार गल जाए,
तब समझ लेना —
द्वार खुल गया।

मोक्ष ईश्वर से मिलना नहीं,
मोक्ष —
ईश्वर में विलय है।


यदि इस लेख ने आपको स्वर्ग से आगे के लक्ष्य — मोक्ष — पर सोचने के लिए प्रेरित किया हो, तो इसे अपने परिवार, मित्रों और साधना-पथ पर चलने वाले लोगों के साथ अवश्य साझा करें। आपका एक साझा किसी और के अंदर भी जागृति का दीप जला सकता है।

लेखक / Writer

तु ना रिं 🔱

प्रकाशन / Publish By

सनातन संवाद

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Labels: मोक्ष क्या है, Moksha in Sanatan Dharma, स्वर्ग से बड़ा लक्ष्य, जन्म मृत्यु से मुक्ति, ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग, ध्यान योग, तु ना रिं, सनातन संवाद

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