आत्मा अमर क्यों है? — विज्ञान से परे सनातन का सत्य
सनातन धर्म कहता है —
आत्मा कभी जन्म नहीं लेती,
और कभी मरती नहीं।
शरीर पैदा होता है,
बढ़ता है,
बूढ़ा होता है,
और मिट जाता है।
लेकिन आत्मा?
वह न पैदा होती है,
न मिटती है।
भगवद्गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं:
"न आत्मा को कोई अस्त्र काट सकता है,
न अग्नि जला सकती है,
न जल भिगो सकता है,
न वायु सुखा सकती है।"
आत्मा अमर है क्योंकि वह —
पदार्थ से नहीं,
चेतना से बनी है।
विज्ञान पदार्थ को नष्ट कर सकता है,
पर चेतना को नहीं समझ सकता।
सनातन कहता है —
आत्मा, परमात्मा का अंश है।
जैसे समुद्र की एक बूँद,
पूरा समुद्र नहीं होती,
पर समुद्र की ही होती है।
मन, शरीर और आत्मा —
तीन अलग चीजें हैं।
शरीर — मिट्टी से बना।
मन — विचारों से बना।
आत्मा — प्रकाश से बनी।
मरते समय —
शरीर यहीं रह जाता है,
मन दुख-सुख लेकर साथ जाता है,
आत्मा कर्मों की गठरी बाँध लेती है।
और अगले जन्म में —
वही गठरी नया शरीर चुनती है।
इसलिए —
कुछ बच्चे जन्म से ही शांत होते हैं,
कुछ जन्म से क्रोधित,
कुछ जन्म से कलाकार,
कुछ जन्म से साधु।
यह सब पिछले जन्म का बोझ है।
आत्मा तभी मुक्त होती है —
जब उसका बोझ शून्य हो जाए।
इसी शून्यता को —
मोक्ष कहा गया है।
जिसकी आत्मा समझ में आ गई,
उसे जीवन समझ में आ गया।
लेखक / Writer
तु ना रिं 🔱
प्रकाशन / Publish By
सनातन संवाद
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Labels: आत्मा अमर क्यों है, Soul is immortal, आत्मा और शरीर, पुनर्जन्म, मोक्ष, कर्म सिद्धांत, Sanatan Dharma explained, तु ना रिं, सनातन संवाद
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