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कलियुग क्यों बदनाम है? — यह युग सबसे खतरनाक भी है और सबसे शक्तिशाली भी | Sanatan Dharma

कलियुग क्यों बदनाम है? — यह युग सबसे खतरनाक भी है और सबसे शक्तिशाली भी | Sanatan Dharma

कलियुग क्यों बदनाम है? — यह युग सबसे खतरनाक भी है और सबसे शक्तिशाली भी

कलियुग का अर्थ और शक्ति - Sanatan Dharma

लोग कलियुग को गाली देते हैं,
पर सच यह है —
कलियुग सबसे निर्णायक युग है।

सतयुग में अच्छे होना आसान था,
त्रेता में साधना से लोग बच जाते थे,
द्वापर में पूजा काफी थी,
पर कलियुग में —
अच्छा बने रहना ही साधना है।

इस युग में कोई रावण जैसे सींग लेकर नहीं आता।
यहाँ बुराई मुस्कुराकर आती है।

यह युग तलवार से नहीं,
सोच से मारता है।

यही कारण है —
झूठ को स्मार्टनेस कहा जाता है,
धोखे को चालाकी,
स्वार्थ को सफलता,
और काम को स्वतंत्रता।

कलियुग में इंसान बाहर से सुंदर है,
भीतर से खोखला।

इस युग में रिश्ते भी सौदे हैं,
भक्ति भी दिखावा।

पर……

यही युग सबसे शक्तिशाली भी है।

क्योंकि जो यहाँ भगवान को पकड़ ले —
वह सीधे मुक्त हो जाता है।

कलियुग में छोटे कर्म,
बड़े फल देते हैं।

एक माला —
हजार यज्ञों के बराबर।

एक सच्चा आँसू —
सदी की तपस्या से भारी।

एक नाम —
संपूर्ण पापों से मुक्त।

इसीलिए संत कहते हैं —
जिसने कलियुग को समझ लिया,
उसने सब युग जीत लिए।

यह युग शोर का युग है,
इसलिए मौन अमृत है।

यह युग भागदौड़ का युग है,
इसलिए ध्यान औषधि है।

यह युग भ्रम का युग है,
इसलिए विवेक सबसे बड़ा अस्त्र है।

कलियुग बुरा नहीं,
यह परीक्षा का युग है।

जो पास हुआ —
वह युगों का विजेता बन गया।


यदि आपको यह समझ उपयोगी लगी हो कि कलियुग वास्तव में कितना शक्तिशाली और निर्णायक युग है, तो इसे अपने परिवार और मित्रों के साथ ज़रूर साझा करें। हो सकता है किसी का दृष्टिकोण बदल जाए और वह इस युग को नफ़रत नहीं, समझ के साथ देखना शुरू करे।

लेखक / Writer

तु ना रिं 🔱

प्रकाशन / Publish By

सनातन संवाद

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इस लेख का सम्पूर्ण कंटेंट लेखक तु ना रिं और सनातन संवाद के कॉपीराइट के अंतर्गत सुरक्षित है। बिना अनुमति इस लेख की नकल, पुनःप्रकाशन या डिजिटल/प्रिंट रूप में उपयोग निषिद्ध है। शैक्षिक और ज्ञानवर्धन हेतु साझा किया जा सकता है, पर स्रोत का उल्लेख आवश्यक है।

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Labels: कलियुग, Kaliyug, चार युग, सनातन धर्म, भक्ति, ध्यान, विवेक, आध्यात्मिक साधना

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