प्राचीन अवतार और उनका संदेश — जब ईश्वर ने धरती पर कदम रखा
नमस्कार, मैं तु ना रिं, एक सनातनी।
आज मैं तुम्हें उस गूढ़ रहस्य की कथा बताने आया हूँ
जो सनातन धर्म के सबसे महान सत्य में से एक है —
अवतार और उनका संदेश।
सनातन धर्म कहता है कि ईश्वर जब भी धरती पर अधिक बुराई और अधर्म फैलते हैं,
तो स्वयं प्रकट होकर जीवन और धर्म की रक्षा करता है।
इन्हें ही कहा गया — अवतार।
अवतार केवल देवी-देवताओं के रूप में नहीं,
बल्कि मानव रूप में भी हो सकते हैं,
जिनमें ईश्वर की शक्ति और उद्देश्य झलकता है।
पुराणों में कई अवतारों का वर्णन मिलता है —
- विष्णु के दशावतार — मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि।
- राम — आदर्श और धर्म का संदेश।
- कृष्ण — ज्ञान, भक्ति और नीति का संदेश।
- बुद्ध — अहिंसा और विवेक का संदेश।
अवतार का सबसे बड़ा रहस्य यह है —
वे केवल शरीर में प्रकट होते हैं,
पर उनका उद्देश्य मनुष्य की चेतना को जगाना होता है।
वे नहीं आते कि लोग केवल उनका पूजन करें,
बल्कि वे चाहते हैं कि मानव स्वयं धर्म, भक्ति और ज्ञान की ओर बढ़े।
कथा और इतिहास में कहा गया है —
अवतार का आगमन तब होता है जब —
- अधर्म चरम पर होता है
- मनुष्य पथभ्रष्ट होता है
- समाज असंतुलन में होता है
अवतार केवल लड़ाई नहीं करते,
वे संभावना, मार्ग और चेतना की अग्नि प्रज्वलित करते हैं।
जो व्यक्ति उनका संदेश समझता है,
वह स्वयं अपने जीवन में अवतार का अनुभव करता है।
सनातन धर्म में यही संदेश बार-बार मिलता है —
“ईश्वर धरती पर आते हैं,
लेकिन सबसे बड़ा अवतार वह है जो अपनी आत्मा में ईश्वर को जागृत करता है।”
इसलिए अवतार केवल कथा नहीं,
यह जीवन का आदर्श और चेतना का मार्गदर्शन हैं।
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